उसके साथ ऐसा क्या हुआ होगा ? पर जो भी हो उसकी हालत देख के ये तो तय है जो भी हुआ होगा बोहोत बुरा हुआ होगा।मैं आज भी इस अफसोस में हूं के मै उसकी मादत नहीं कर पाया । वैसे जब मै वहां से गुजर रहा था तब तक कुछ लोग वहां आ चुके थे ।Note- Use headphones
कुछ मुलाातें सिर्फ इसलिए अधूरी रह जाती हैं क्यूंकि, शायद उनके पुरे होने से किसी को कुछ हासिल नहीं होता । हम अधूरी मुलाकात को पूरी तो कर सकते हैं , पर उसमे पहली मुलाकात वाली बात नहीं रहती। हम खुश हो कर भी ना खुश रहते हैं ।MUSIC - Praveen singh
ना चाहते हुए जो काम करना पड़ता है उसमे तकलीफ तो होती है , पर भलाई उसी में है । ये बिलकुल उस सिग्रेट कि तरह है जिसे पीने की तलब भी है और उसके नुक़सान भी।Written by Rohit MandalMusic - Praveen Singh (Instagram - @myselfpraveen)
सारा कुछ हमारे देखने के नज़रिए में है , मैं किसी की कहानी में हीरो हूं तो किसी की कहानी में खलनायक ।एक ही व्यक्ति दोनों ही किरदार निभाता चला जाता है ।मैने खुद को हीरो से खलनायक में बदलते देखा है बोहोत करीब से । आशा है इसे आप भी महसूस कर पाएंग
किसी का किसी के साथ होना ना होना उनके द्वारा लिए गए फैसलों पर निर्भर करता है , अगर कोई चीज आज भी उसको मुझसे जोड़ कर रखती है तो उसका बार बार सामने आना ज़िन्दगी में मौसम के बदलाव की तरह होना चाहिए ।
हम किसी को करीब से जाने बिना उसके बारे में बात नहीं कर सकते । मेरी मां को सुशांत में मैं दिखता हूं , इसलिए मैं भी इस बहती गंगा में शामिल हो गया , ना चाहते हुए भी। अगर मेरी बातो से तुम सहमत नहीं हो तो तुम अपना भाव प्रकट कर सकते हो , मुझे बुरा नह
हम किसी को करीब से जाने बिना उसके बारे में बात नहीं कर सकते । मेरी मां को सुशांत में मैं दिखता हूं , इसलिए मैं भी इस बहती गंगा में शामिल हो गया , ना चाहते हुए भी। अगर मेरी बातो से तुम सहमत नहीं हो तो तुम अपना भाव प्रकट कर सकते हो , मुझे बुरा नह
हम किसी को करीब से जाने बिना उसके बारे में बात नहीं कर सकते । मेरी मां को सुशांत में मैं दिखता हूं , इसलिए मैं भी इस बहती गंगा में शामिल हो गया , ना चाहते हुए भी। अगर मेरी बातो से तुम सहमत नहीं हो तो तुम अपना भाव प्रकट कर सकते हो , मुझे बुरा नह
बुरा वक़्त कभी ख़त्म नहीं होता , उसे बरकरार रखने के लिए हम इस दुनिया में दीमक कि तरह हैं । जो कुछ भी हो रहा है और जो होगा , उसके ज़िम्मेदार और दोशी हम ख़ुद है।
रफ कॉपी हर किसी के लिए खास है , उसमे सपनों की उड़ान भी है तो ज़िंदगी के असल हालात भी | कुछ शरारते भी है तो कुछ हक़ीक़त भी | कही बहुत सारा प्यार है तो कही बहुत सारी तकरार | इसमे कही बात बचपन के उस स्वेटर की तरह ही है जो अब हमे फिट तो नहीं आता पर हम
हो सकता है मै गलत हूं , पर सही भी हो सकता हूं ।ये सिर्फ समझने वाले के ऊपर है , कौन इसको कैसे साझता है सही या ग़लत । आपकी राय में सही क्या है और गलत क्या मुझे ज़रूर बताएं , क्या पता आपके विचार मेरे अगले एपिसोड में हो ?
हर चीज़ की एक उम्र होती है , मेरी इस कहानी की भी उम्र है । आपको बता दूं मेरी ये काल्पनिक कहानी सच्ची कहानी के अधूरे हिस्से से बनी है । पर इसमें जो कुछ भी हुआ वो पूरा का पूरा काल्पनिक नहीं है । इसे सुनो पता चल जाएगा , और हां बताना ज़रूर कैसा लग
एक छोटी सी कविता , मैने इसमें अलविदा लिखने कि कोशिश की है । यकीन मानिए बोलने से कहीं आसान होता है लिखना। मेरा कायर होना ही इस कविता का कारण है , क्या करूं मै कभी किसी को अलविदा बोल ही नहीं पाया ।शायद आपके के साथ भी ऐसा ही होता होगा।होता है
बोहोत मुश्किल होती है । फ़िर से शुरू करना हो , या अंत करना हो। तुमसे बात करना मेरी मजबूरी नहीं है , बस अच्छा लगता है। मैने सोचा था इस बार मै कुछ और लिखूंगा पर प्रेम आज भी अधूरा था तो फिर से इसे लिख दिया।