लेखक: फ़ौज़िया गिलानी विल्यम्ज़अनुवाद: राजेश उत्साहीचित्रांकन: प्रोईति राय तूलिका प्रकाशन केंद्र द्वारा प्रकाशित स्त्रोत: read.worldreader.org
क्या आपने अपने नाप से बडे कपडे कभी खरीदे हैं? घर आकर उसकी तुरपाई करनी पडी होगी? इस्मत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस्मत एक ख़ुशमिज़ाज इन्सान है। ईद के लिए वह अपने परिवार के लिए नए तोहफ़े ख़रीदता है। दुकानदार उसे खुद के लिए नई पतलून लेने के लिए राज़ी करता है। पर दुकान में केवल एक ही पतलून है और वो भी इस्मत के नाप से बड़ी! लम्बी पतलून छोटी करना तो आसान है, यह सोचकर वो पतलून घर ले जाता है। ईद आती है, साथ साथ इस्मत के लिए थोड़ा सा सदमा और थोड़ी सी ख़ुशी लिए।यह मज़ेदार कहानी जीवन का एक नज़रिया देती है। चलिए सुनते है!
Podchaser is the ultimate destination for podcast data, search, and discovery. Learn More