भगवान ने हमें बताया- "सही अर्थों में सचमुच ही सच्ची भावना ले कर मुझ तक आने की आकाँक्षा तुम्हारे मन में जाग गई तो सच्ची भावना का रूप, वह किसी भी रूप में हो, मुझसे दूर नहीं रहता; और उस रूप में जो मुझ तक आना चाहता है, स्वयं मैं ही उसका सहारा बनता,
असाधारण ही होता है वह युग, जिस युग में परमपिता परमात्मा धरा पर धर्म संस्थापन के लिए अवतरित होते हैं । आज हम आप बहुत भाग्यशाली हैं, जो अपने जन्मों-जन्मों के पुण्यों के संचय के कारण, आज परमात्मा की पहचान हुई है, उनका मार्गदर्शन मिल रहा है, उनकी न
अपना मन खोल कर देखो कि क्या कभी अपने आप में कुछ इच्छा होती है मेरे लिये कुछ करने की? अर्थात मेरे आदेश को पूरा करने के लिये कुछ भी दे देने की, कुछ भी कर देने की। तन-मन-धन सभी कुछ अपने लिये रख कर भी कहते हो की तुम्हारा इसमें कुछ भी अपना नही
भगवान की वाणी के दिव्य वचन- "मनुष्य अपने जीवन के वे क्षण, जिनमें उसे अपने शरीर की सेवा नहीं करनी होती, मुझे इस रूप में अर्पित करने का प्रयास करे, कि मन उसी में समा कर एकरूप हो जाये। वाणी का हर अक्षर, जितना ही अधिक मन में समाने का प्रयास करोगे,
आध्यात्मिक गुरु दिव्य शक्ति मां पूनम जी के श्री मुख से सुने दिव्य ज्ञान प्रवचन। ईश्वर में पूर्ण आस्था ही वह मंत्र है, जो व्यक्ति को हर पीड़ा, कष्ट, रोग तथा बाधा से मुक्ति दिलाता है, जो व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थिति में भी टूटने नहीं देता ।
मानव का धर्म होता है मानवता । मानवता की रक्षा करना धर्म की ही रक्षा करना होता है; लेकिन धर्म की रक्षा के पहले धर्म-अधर्म का अंतर जानना आवश्यक होता है, जिसका ज्ञान मिलता है, परमात्मा के अंश आत्मा से; जो सब ही प्राणियों की जीवनी शक्ति है। अपनी आत
यतो धर्मस्य ततो जय: धर्म से जीवन की रक्षा होती है। जहां धर्म है वहीं विजय है। जहां अधर्म है वहां पराजय है। इस ध्येयवाक्य का अर्थ महाभारत के श्लोक 'यतः कृष्णस्ततो धर्मो यतो धर्मस्ततो जयः से आता है. कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन युधिष्ठिर की अक
शक्ति माँ ने हमें चेतावनी दी थी कि अगर हम अपने अत्याचारों को नहीं रोकेंगे तो मानवता के लिए आगे क्या होगा। उन्होंने हमें हमारे कार्यों की परिणति के बारे में बताया।
शक्ति माँ ईश्वर के इस युग, लिपि रूप की *अभिव्यक्ति* की शक्ति का अवतार है।वर्षों की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के *साथ* उन्होने *साबित* कर दिया है कि जब आप भगवान के *कार्य* के लिए समर्पित होते हैं तो कोई भी बाधा बहुत बड़ी नहीं होती है। जीवन