दोस्तों, इस कहानी के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि हम परमात्मा रूपी खजाना तभी प्राप्त कर सकते हैं, जब हम अपनी भक्ति रूपी खोज में निरंतर लगे रहें।
दोस्तों, इस कहानी में यह बताने का प्रयास किया गया है कि हमारे शब्द, हमारी जिह्वा हमारे लिए शत्रु अथवा मित्र का निर्धारण कर देती हैं। यदि हम मीठा बोलें, तो बिगड़ते काम भी ठीक होने लगते हैं।
दोस्तों इस कहानी में यह बताया गया है कि हमें मनुष्य जन्म को बेकार नहीं समझना चाहिए।मानव की योनि में जन्म लेने के लिए तो देवता भी तरसते हैं। मनुष्य जन्म की सार्थकता को हमें समझना चाहिए।🙏
दोस्तों इस कहानी में यह बताया गया है कि हमें अपने अंदर विनम्रता का स्वभाव विकसित करना चाहिए। यह एक ऐसा सद्गुण है जिससे हम प्रतिकूल परिस्थितियों में भी धैर्य से काम ले सकते हैं।
दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने आस पास कोई भूखा दिखे तो उसे भोजन जरूर दे देना चाहिए। यदि हमारा समाज उपेक्षित रहेगा तो लोग आपराधिक प्रवृति के होने लगेंगे।
दोस्तों, प्रस्तुत कहानी में यह बताया गया है कि हमें कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए।हम भले ही बहुत सा पुण्य कर्म किए हों यदि अहंकार को नहीं त्यागते हैं तो हमारे सारे पुण्य कर्म नष्ट हो जाते हैं।
दोस्तों, इस प्रसंग के माध्यम से यह बताया गया है कि हम कभी भी किसी भौतिक वस्तु से ईश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते हैं। ईश्वर केवल दूसरों की सेवा से ही प्रसन्न होते हैं।
दोस्तों, इस कहानी के माध्यम से यह बताया गया है कि हमें क्रोध नहीं करना चाहिए।यदि हम क्रोध करते हैं, तो हम चिल्लाते हैं।जहां प्रेम होता है वहां शोर नहीं,शांति होती है।