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ज़िक्र होता है जब क़यामत का...

ज़िक्र होता है जब क़यामत का...

Released Monday, 11th December 2023
Good episode? Give it some love!
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आलेख : सुजॉय चटर्जी

वाचन : रीतेश खरे

प्रस्तुति : संज्ञा टंडन

नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1970 की फ़िल्म ’माइ लव’ का गीत- "ज़िक्र होता है जब क़यामत का, तेरे जल्वों की बात होती है"। मुकेश की आवाज़, आनन्द बक्शी के बोल, और दान सिंह का संगीत। बड़ी स्टारकास्ट वाली इस फ़िल्म में दान सिंह जैसे नये और कम बजट की फ़िल्मों के संगीतकार को क्यों चुना गया? इस गीत के साथ दान सिंह, खेमचन्द प्रकाश और राग भैरवी का क्या सम्बन्ध है? फ़िल्म के बाहर यह गीत ज़बरदस्त हिट होने के बावजूद फ़िल्म के पर्दे पर कौन सी कमी रह गई? इस फ़िल्म के बाद दूसरे संगीतकारों के कौन से बरताव से दुखी होकर दान सिंह ने बम्बई छोड़ने काफ़ैसला किया? ये सब आज के इस अंक में।

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