Podchaser Logo
Home
दोराह (राह ए वफ़ा) - ऋंखला : भाग-1

दोराह (राह ए वफ़ा) - ऋंखला : भाग-1

Released Monday, 14th December 2020
Good episode? Give it some love!
दोराह (राह ए वफ़ा) - ऋंखला : भाग-1

दोराह (राह ए वफ़ा) - ऋंखला : भाग-1

दोराह (राह ए वफ़ा) - ऋंखला : भाग-1

दोराह (राह ए वफ़ा) - ऋंखला : भाग-1

Monday, 14th December 2020
Good episode? Give it some love!
Rate Episode

स्वेता "निक्की" परमार के उपन्यास - दोराह (राह ए वफ़ा) की कहानी ऋंखला ...

भाग-1

कई बार ज़िंदगी में कुछ ऐसे लोग भी आपस में टकराते हैं जिन्हें दुनिया में सब कुछ आसानी से हासिल होता है किन्तु प्यार और भरोसा नहीं । कहने को तो कुछ लोग राजसी ठाठ के साथ जीते-रहते हैं और भरा पूरा परिवार भी होता है किन्तु फिर भी होते हैं एकदम अकेले, क्यूँकि स्थिरता नहीं होती उनमें। कारण या तो वो स्वार्थी बन, बहुत ज़्यादा की उम्मीद कर बैठते हैं या उनका अहं प्रमुख कारण होता है कि सब उनसे छूटता जाता है। उस वक़्त ज़रूरत पढ़तीं है खुद को सँभालने की और ये समझने की कि क्या ज़रूरी है खुद को स्थापित करने के लिए | ऐसा कभी नहीं होता है कि अगर हम सकारात्मक सोच लेकर चलें तो काम पूरे न हो| अगर जिद पक्की हो तो नामुमकिन कुछ भी नहीं| ऐसे ही दो लोगों की ज़िंदगी की कहानी है ये जिन्होनें ये सोचा कि उनकी क़िस्मत में भगवान ने इन दो चीज़ों के अलावा- जो कि जीने के लिए सबसे ज़रूरी है- सब कुछ लिखा था । और उनसे- कुछ भी सम्भाला नहीं गया । उन्होनें अपनी नासमझियों की वजह से अपनी ही जिंदगी की कद्र नहीं की और फिर एक समय ऐसा आया कि एक फैसले ने सब कुछ बदल दिया । ऐसा होता है कि कभी कभी हम सोच नहीं पाते और एक भ्रम में जीना शुरू कर देते हैं, इसलिए सही रहता है जब सच सामने आता है और हम ख्वाबों से बाहर निकलकर धरातल पर आते है| वास्तविक दुनिया में और स्वप्निल संसार में इतना अंतर होता है जितना धरा और अम्बर में, पर्वत और समंदर में| ऐसा नहीं है कि महत्वाकांक्षाएं गलत होती है, किन्तु, हर बात..... चाहे ख्वाब हो या हकीक़त...... उनमें सामंजस्य बैठकर यथार्तवत जीवन में आगे बढ़ना होता है| अति हर चीज़ की बुरी होती है ये बात तो बालपन से ही सिखाई जा रही है हमें| शायद इसलिए क्यूंकि, कभी कभी मन महत्वाकांक्षाओं से भी आगे भागने लगता है और फिर सब कुछ गर्त में गिरता जाता है| हमारा वजूद, हमारी हस्ती, हमारा मान .......................... सब कुछ| प्यार एक बेहद खूबसूरत अनुभूति है और इसका अहसास आपके रोम रोम में रोमांच भर देता है, जीने के प्रति और सजग कर देता है| हर पल एक खुमारी सी छाई रहती है| उस वक़्त सही, गलत कुछ समझ नहीं आता| बस एक ही व्यक्ति के आस पास जैसे सारी दुनिया सिमट आई हो| और कभी कभी वो प्यार जूनून बन जाता है कि व्यक्ति फिर बस उसी में खुद को ढूंढता है, फिर जैसे सारी कायनात उसे उसके साथी से मिलाने में लग जाती है लेकिन, कभी कभी वही प्यार नफरत में बदल जाता है जब उसे अपने ही साथी से अविश्वसनीय - विश्वासघात मिलता है| इस कहानी में नीलेश और खनक की जिंदगी में कैसे बदलाव आये और कैसे उन दोनों ने उन परिस्थितियों का सामना किया, इन सबका एक कहानी के रूप में वर्णन किया गया है, ये आजकल के सामाजिक प्रारूप पर निर्धारित एक कहानी है ऐसा कह सकते हैं बस पात्र बदल जाते हैं। हालाँकि, इसमें यथार्थ से किसी ( निजी या विशेष) व्यक्ति विशेष का कोई संबंध नहीं है। कई बार ऐसा होता है कि ना चाहते हुए भी हमें ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं जिसके बारे में हम कभी सोच भी नहीं पाते किन्तु, शायद वही हमारे लिए सबसे बेहतर होते हैं| हालांकि, जिंदगी कभी कभी ऐसा मोड़ ले लेती है जो हम कभी अपने विचारों या मजाक में भी नहीं सोच पाते| हमारे लिए भी कभी कभी कुछ घटनाएँ अप्रत्याशित होती है। ऐसे ही अचानक क्या हुआ खनक और नीलेश की जिंदगी में........आइये इन सब से आपको रूबरू कराते हैं| तो मुखातिब होइए खनक और नीलेश (की ज़िंदगी) से|

क्रमश ...

Show More
Rate

Join Podchaser to...

  • Rate podcasts and episodes
  • Follow podcasts and creators
  • Create podcast and episode lists
  • & much more

Episode Tags

Do you host or manage this podcast?
Claim and edit this page to your liking.
,

Unlock more with Podchaser Pro

  • Audience Insights
  • Contact Information
  • Demographics
  • Charts
  • Sponsor History
  • and More!
Pro Features