अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। मुहब्बत की दुनिया में आज भी अमृता प्रीतम का नाम अमर है। प्यार में डूबी अमृता की कलम से उतरे शब्द ऐसे हैं जैसे चांदनी को अपनी हथेलियों के बीच बांध लेना। यह एक प्रयास है, उनकी आत्मकथा 'अक्षरों के साये' एक अंतर्यात्रा के ज़रिए, न केवल उनकी शख्सियत से रूबरू करवाना है, बल्कि उनके शब्दों की गहराई को महसूस करना है।दिल से दिल तक के इस सफ़र को परमजीत कौर ने अपनी आवाज़ दी है।
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