कविराज को सुनने वाले सभी श्रोताओं को नव वर्ष 2021 की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ. पिछला वर्ष हम सभी के लिए चुनौतीपूर्ण रहा. लेकिन समय और मौसम सदा एक सा नहीं रहता वो बदलता है. आप ही की तरह मैंने भी नए साल का संकल्प या कहें ‘न्यू ईयर रेज़लूशन’ लिया है अ
ओखला पक्षी अभयारण्य (O.B.S.) का आकार लगभग 4 वर्ग किलोमीटर है और यह उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में NOIDA के प्रवेश द्वार पर स्थित है। यह एक ऐसे बिंदु पर स्थित है जहां यमुना नदी उत्तर प्रदेश राज्य में प्रवेश करती है और दिल्ली के क्षेत्र
सर्दियां लगभग आ चुकी हैं. शारीर कुछ अलसाया सा महसूस करने लगा है. देखी जाएगी वाले रवैय्ये से बचें।नींद लाने के लिए एक छोटी कहानी. पेश है टिड्डी।--- Send in a voice message: https://anchor.fm/harish-benjwal/message
आज मेरा जन्मदिन है। वर्षगाँठ, जन्मदिन, सालगिरह, बर्थ्डे। इस सफ़र में बहुत कुछ पाया है। बहुत कुछ करना अभी बाकी है। मन में जिज्ञासा उमड़ी तो पता चला औपचारिक रूप से जन्मदिन मनाना प्रचलन १ सेंचरी ए. डी. से आरम्भ हुआ। और हैपी बर्थ्डे वाला गीत १८५९ म
अपनी है। स्वदेशी है। लिपि भी है। भाव भी है। व्याकरण भी है। छोटा बड़ा कोई अक्षर नहीं। आधे शब्दों को भी जोड़कर रखती है हिंदी। तो फिर ग्लानि क्यूँ? शंका क्यूँ? कुंठा क्यूँ? बैर क्यूँ? हिंदी हैं हम वतन हैं हिन्दोस्ताँ हमारा।--- Send in a voice
‘Basics’ या मूल ज़रूरतें को पूरा करते हुए वक़्त के साथ चलना और बदलना ज़रूरी है। बशर्ते उसमें सुकून की अनुभूति हो। संवाद के कई माध्यमों से रूबरू होने का जीवन में अनुभव मिला। पिता और दोस्तों को अंतर्देशीय पत्र से लेकर लोकल पी सी ओ बूथ पर पल्स रेट
यह पंक्ति प्रत्येक विद्यालय व कॉलेज के बाहरी द्वार पर लिखी होती है। इसे लिखने का उद्देश्य विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा का प्रयोग देश की सेवा के लिए करने हेतु प्रेरित करना है। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० इस संदर्भ में एक तर्कसंगत प्रयास है। द
अपने १८७ साल के गौरवपूर्ण इतिहास में भारतीय रेल भारत के हर नागरिक को कभी ना कभी अपनी सवारी ज़रूर करायी है। भारत के संदर्भ में रेलवे का आग़ाज़ बहुत शानदार रहा है। और लगभग हर छोटे बड़े, गरीब अमीर ने इसके माध्यम से ज़िंदगी का सफ़र तय किया है। रूपह
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर घंटे एक छात्र आत्महत्या करता है, जिसमें हर दिन लगभग 28 आत्महत्याएं होती हैं। NCRB के आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 में 10,159 छात्रों की आत्महत्या हुई, 2017 में
२३ जून हर साल आता है ये गर्मी को वो महीना है जिसमें हम आम का लुफ़्त उठाते हैं। सफ़ेदा, दसशेरी और बंगाल का माल्दा क़िस्म मुँह में पानी ला देती है। २३ जून को माल्दा आम खाते वक्त 263 वर्ष पहले लढ़ा गया प्लासी का युद्ध बरबस याद आ गया। तो सोचा स्मृ
बड़ी बड़ी उलझनों की वजह हमेशा ही बहुत छोटी होती है। लॉकडाउन में हम लोगों का बाहर आना जाना लग भग बंद सा हो गया। ये एक अभूतपूर्व स्थिति है। घुटन में कभी ना रहें कभी नहीं। जो भी रहबर है आपका उससे ज़रूर बोलें। अवसाद को नज़रंदाज़ ना करें। मैंने अपने
एक दौर था जब भारत का एकमात्र उद्देश्य अंग्रेजों से आज़ादी पाना था। एक विदेशी हुकूमत के अधीन खुद को ग़ुलाम मानना भारत की जनता को गवारा ना था। आज़ादी एक व्यक्ति विशेष के कारण नहीं मिली बल्कि इस यज्ञ में कई आहुतियाँ पड़ी। पंडित राम प्रसाद ‘बिसमिल’
एचएमटी (हिंदुस्तान मशीन टूल्स) घड़ियों को 70, 80 और 90 के दशक में स्टाइल और स्टेटस सिंबल माना जाता था। वह उस वक्त के सामज़ की कलाई में बंधी हुई दिखती थीं। घड़ी की सुंदरता और उपयोगिता इसी बात से सिद्ध हो जाति थी कि यह भारत के स्वदेशी उत्पादों या
इंसान का प्रकृति के साथ ये छीना झपटी उसको ही नुक़सान पहुँचा रही है और पहुँचाएगी। वो उस डाल को काट रहा है जिसमें स्वयं बैठा है। विज्ञान में शोध और कामयाबी से उसने अपने आप को सुरक्षित कर लिया ऐसा उसका मानना है। उसने संसार पर विजय प्राप्त कर लिया
रंगभेद, नस्ल, गोरा बनाम काला ना केवल अमेरिका जैसे देश में विद्यमान रहा है बल्कि भारत जैसे विकासशील देश का अभिन्न अंग रहा है। भारत में उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत बनाम उत्तर पूर्व हमेशा से रहा। काला, नाटा, चिंक़ी, बिहारी, मद्रासी, चायनीज़ ये भेद
भारत विश्व का सबसे युवा देशों में से एक है। भारत की लगभग 35% जनसंख्या युवा है जो एक गर्व की बात है। भारत प्रतिभा के मामले में किसी भी देश से पीछे नहीं और विश्व की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों में भारतीय मूल्य के व्यक्तियों का दबदबा है। लेकिन इसी जन
बिजूका या अंग्रेज़ी में स्केर-क्रो विश्व की संस्कृतियों में कई नामों से जाना जाता है। अभी इस लॉक्डाउन के दौरान फ़ोन पर बातचीत में पिताजी जो अभी गाँव में हैं उन्होंने गढ़वाल, उत्तराखंड में जंगली भालुओं, लंगूरों से फल, सब्ज़ी, अनाज़ बचाने के लिए
धुएँ का छल्ला बनाते हुए कोई ना कोई और कहीं ना कहीं दिख जाता है। इस तलब में लाचारी कम और “मेरे फ़ेफ़्ड़े- मेरी ज़िंदगी” वाला तंज मज़बूती के साथ दिखता है। भारत में सिगरेट पीने की शुरुआती उम्र 17 साल से 15 साल हो गयी। यानी लत ये ग़लत लग गयी।Song
कैमरा बहुत कुछ कहना चाहता था। लेकिन उसकी बात किसी ने नहीं सुनी। नाम उसका इस्तेमाल करने वाले का हुआ। वह तो बस मरोड़ा गया, लटकाया गया।--- Send in a voice message: https://anchor.fm/harish-benjwal/message
वक़्त तो बिना लेबल के चलता रहता है। बदलता अगर कुछ है तो वह है रवैया। ज़रूरत इस बात की है की रवैया सटीक हो। और ये सटीकता आत्ममंथन से आती है। घर से बाहर और भ्रम की इस दुनिया में प्रभावित होने के लिए बहुत कुछ है। जितनी सरलता और सुगमता से वह प्रभाव
अंक सात मुझे लुभाता है। अपनी बनावट के लिए और अपनी आभा के लिए। मेरी जन्म तिथि भी सात है और जेम्ज़ बॉंड का नम्बर भी सात ही था। और कहाँ है सात का साथ चलिए सुनते हैं।--- Send in a voice message: https://anchor.fm/harish-benjwal/message
दो शब्द किसी के प्रशंसा में बोलने से हमारी ना तो ज़ीभ घिसती है ना आयु कम होती है। व्यक्ति, समय, पद/औहदा और अवस्था कोई भी हो इस कला को सीखें और ईमानदारी से इसका प्रयोग प्रख़र और मौखिक़ हो कर करें क्यूँकि दुनिया में निन्दकों की तादाद बेतहाशा है औ
भूत होने का आभास एक ऐसी कल्पना है जिस पर विश्वास करना और ना कर पाना दोनों ही जो कुछ करे ना करे पर एक सिरहन ज़रूर पैदा कर देती है। और जब ऐसी घटना स्वयं के साथ हो तो क्या कहना! अस्वीकरण: सभी पात्रों का नाम काल्पनिक है और किसी भी प्रकार की समानत
जीवन में ख़ुश रहना उतना मुश्किल नहीं जितने तरीके दुनिया ने बता दिया है। स्वयं के व्यवहार में थोड़ा बहुत बदलाव ख़ुशी पाने के लिए मददगार साबित होती है। पेश हैं दस ऐसे टिप्स जो मैंने अपने अनुभव से सीखें हैं।--- Send in a voice message: https:/