दिनकर, एक एसा प्रभुत्व जिसने अपनी कविताओ से बहोतो के मन को आकर्षित किया हैं | उन्होंने कृष्ण की चेतावनी जेसी महान कविता हम सभी को अर्पित की हैं | यही कविता को आशुतोष जी राणा ने एक टीवी शो के दौरान सुनाया था| जिसको आप सभी ने बहोत प्यार दिया। आज ये मेरा भी छोटा सा प्रयास हैं की मे ये कविता आपके सामने मेरे लय से प्रगट कर सकु। ये कविता हमे सार सिखाती हैं की जब श्री कृष्ण जब शांति दूत बनके हस्तिनापुर जाते हैं तब दुर्योधन, श्री कृष्ण को पकड़ ने का ना काम प्रयास करता हैं ओर श्री कृष्ण दुर्योधन को चेतावनी देते हैं ।
कविता की शुरुआत कुछ एसे होती हैं की,
वर्षों तक वन मे घूम घूम ,
बाधा - विघ्नों को चूम चूम,
सह धूप धाम ,पानी पत्थर ,
पांडव आए कुछ एसे निखर ,
सौभाग्य ना सब दिन सोता हैं ,
देखे आगे क्या होता हैं|
मुजे आशा हैं की आपको ये कविता मेरे आवाज मे अच्छी लगी होंगी|
आपका धन्यवाद |
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