अरविंद घोष को उनके पिता 'अंग्रेज़' बना देना चाहते थे. लेकिन उनसे देशवासियों का दर्द देखा नहीं गया. देश सेवा के लिए उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की सबसे सम्मानित नौकरी ठुकरा दी और क्रांतिकारी बन गए. लेकिन कालांतर में इस गरम मिज़ाज के क्रांतिकारी ने अध्यात्म की राह क्यों चुनी और उनके नाम से महर्षि कैसे जुड़ गया, 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में सुनिए अमन गुप्ता से.
Podchaser is the ultimate destination for podcast data, search, and discovery. Learn More