*"आज के दौर में गांधी की पत्रकारिता की प्रासंगिकता"*प्रो. केजी सुरेश कुलपति माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपालगांधीजी जितने सार्थक स्वतंत्रता संग्राम के दरमियान थे उतने ही आज भी है। गांधीजी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक है। चाहे वह अस्पृश्यता का मामला हो या ग्राम स्वराज के लिए गांधी के विचार। हमें गांधीजी के विचारों का अनुकरण करने कि आज बहुत आवश्यकता है। जब हम हाथरस जैसे जघन्य अपराध हमारे समाज में देखते हैं। तब हमें सोचने की आवश्यकता है। हम गांधी जी की नैतिक मूल्य व आदर्शों को मानते तो हमारे समाज कितना भय मुक्त होता। कोरोना के कारण बड़े पैमाने पर शहर से लोगों ने ग्रामीण इलाकों की तरफ पलायन किया। गांधीजी ने ग्रामीण विकास की तरफ बहुत अधिक ध्यान दिया था। इस महामारी के बीच ग्रामीण इलाकों में हुआ पलायन फिर से हमें ग्राम स्वराज की तरफ सोचने के लिए प्रेरित कर रहा है। इस दिशा में देश की सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने शुरू भी कर दिये है। सरकार आत्मनिर्भर भारत की और कदम बढ़ा रही है।वही गांधीजी ग्रामीण स्वराज के लिए कार्य किया करते थे। गांधीजी का मानना था कि अगर भारत के सभी गांव स्वयं प्रभावशाली व संपन्न हो जाएंगे। देश के तमाम गांव अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए स्वयं की एक मजबूत अर्थव्यवस्था का ढांचा खड़ा कर लेंगे तब भारत का विकास मजबूती के साथ जल्दी हो जाएगा। मेरे लिए गांधी जयंती का मतलब गांधी जी के विचारों आदर्शों और मूल्यों को स्वयं आत्मसात करना है।
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