मौजूदा समय में सरकार व न्यायपालिका से जुड़े कई अहम विषय चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं। सरकार और न्यायपालिका के संबंध कैसे हो इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। लोगों का न्याय पाना मुश्किल हो रहा हैं। पेंडिंग मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ रहीं हैं।
एनआईएसडी बुजुर्गो, ट्रांसजेंडर व युवाओं को स्वावलंबी प्रतिबद्ध. इस संकट के दौर में नकारात्मकता को समाज से दूर करने के लिए दिल्ली और दिल्ली समाचार पत्र द्वारा देश के लोकप्रिय विचारकों के साथ संवाद का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में न
*"आज के दौर में गांधी की पत्रकारिता की प्रासंगिकता"*प्रो. केजी सुरेश कुलपति माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपालगांधीजी जितने सार्थक स्वतंत्रता संग्राम के दरमियान थे उतने ही आज भी है। गांधीजी के विचार आज भी उतन
आज के दौर में जब ईमानदार पत्रकारिता की जमीन सिमटती जा रही है तो यह सवाल लाजिमी हो जाता है कि पत्रकारिता के मूल मूल्य कहां ठहरते हैं? और यह भी कि उन मूल्यों के साथ पत्रकारिता की क्या कोई संभावना बच रही है? ‘गांधी की पत्रकारिता’ ऐसे ही सवालों का