कैसे नींद आएगी
वो कहते कर्म करते जा ज़िन्दगी चल कर आएगी।
"ज़ेहन" अब तू बता दे आज़ कैसे नींद आएगी?
कभी मेरे हाथ थामे कोई सीने से लगा लेता।
कहे, मुहब्बत नही फिर क्यों है उसका चाँद सा सजदा।
मगर मालूम है मुझको तू इक दिन दूर जाएगी।
"ज़ेहन" अब तू बता दे आज़ कैसे नींद आएगी?
जो पन्नो पे लिखा है नाम तेरा, मुझसे था संभव।
थोड़ी काबिलियत होती तो उसमे रंग भर देता।
ख़ुदा कल रात बोला सब्र तेरे काम आएगी।
"ज़ेहन" अब तू बता दे आज़ कैसे नींद आएगी?
"ज़ेहन" तू ही बता, ये क्यू है मेरी रोज़ की उल्फ़त।
लो मानो सो गया जो आज़ कल फिर लौट आएगी।
ये मेरी चादरें, सपनें ये पन्ने फिर जलाएगी
"ज़ेहन" इस रोज़ कोई केहदे, कल को कैसे नींद आएगी?ाएंगी।
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