उसने नज़र नज़र में ही ऐसे भले सुखन कहे, मैने तो उसके पांव में सारा क़लाम रख दिया। 'अहमद फ़राज़' , इश्क और मोहब्बत बयां करने का जिनका एक अलग ही अंदाज रहा। उनकी कुछ नज्में और गज़लें।
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