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"शिक्षिकाएँ"कविता एवं वाचन : शशिभूषण
वसीयतनामा लिखने जैसी कुछ गुफ़्तगूकवि : कात्यायनीवाचन : शशिभूषण(बया, अप्रैल-मार्च 2024)
धीरे-धीरेकवि : सर्वेश्वरदयाल सक्सेनावाचन : शशिभूषण
"रहें या न रहें".कविता एवं वाचन: शशिभूषण.
"चुनाव जंग और मीडिया" वक्ता : भाषा सिंह, जन पक्षधर जुझारू पत्रकार।आयोजक : राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा, ढाई आखर प्रेम 2023, इंदौर (म.प्र.)।स्थल : मध्य प्रदेश प्रेस क्लब, अभिनव कला समाज सभागार इंदौर।तिथि : 27 दिसंबर 2023, शाम 05.55 बजे।
सुबह के इंतज़ार में। विनीत तिवारी से बातचीत। प्रसंग: ढाई आखर प्रेम यात्रा। 26 दिसंबर 2023, सहस्त्र धारा नर्मदा, महेश्वर।
थोड़े से बच्चे और बाक़ी बच्चेकवि : चंद्रकांत देवतालेवाचन : शशिभूषण
क्रूरताकवि : कुमार अम्बुजवाचन : शशिभूषण
"जहाँ घर है वहाँ पेड़ है"कवि : संदीप नाईकवाचन : शशिभूषण
"माँ का मंत्रोच्चार", मार्मिक और अविस्मरणीय कहानी। कहानीकार, रवींद्र व्यास। वाचन, शशिभूषण।
उस तट पर भी जाकर दिया जला आना,पर पहले अपना यह आँगन कुछ कहता हैजाना, फिर जाना! •केदारनाथ सिंह
प्रियतमकवि : निरालावाचन : शशिभूषण
"धीरे चलो"कवि : चंद्रभूषण
प्रलेसं घोषणा पत्र. लेखक, कुमार अम्बुज-वीरेंद्र यादव. अठारहवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन, 20, 21, 22 अगस्त 2023, जबलपुर(म. प्र.).
शिक्षकों से संवाद : कुमार अम्बुज, कवि-कहानीकार, सिनेमा चिंतक। विषय : गद्य कैसे समझें समझाएँ।25 मई 2021,केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 3 भोपाल,क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल।सौजन्य : श्री सोमित श्रीवास्तव(उपायुक्त), डॉ ऋतु पल्लवी, सहायक आयुक्त(तत्काल
विशेषज्ञों ने कहा, "हुज़ूर वह हाथ की पकड़ में नहीं आता। वह स्थूल नहीं, सूक्ष्म है, अगोचर है। पर वह सर्वत्र व्याप्त है। उसे देखा नहीं जा सकता, अनुभव किया जा सकता है।" राजा सोच में पड़ गए। बोले, "विशेषज्ञो, तुम कहते हो वह सूक्ष्म है, अगोचर है और स
इस कहानी का अंत अच्छा नहीं है। मैं चाहता हूँ कि आप उसे नहीं पढ़ें। और पढ़ें भी तो यह ज़रूर सोचें कि क्या इसका कोई और अंत हो सकता था? अच्छा अंत? अगर हाँ तो कैसे? - पार्टीशन(कहानी), स्वयं प्रकाश
"भारतीयता राष्ट्रवाद और साहित्य".वक्ता : विनीत तिवारी, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता.संदर्भ : हिरोशिमा दिवस, 6 अगस्त, 2023. आयोजक : मध्य-प्रदेश प्रलेसं, देवास इकाई.
हिरोशिमाकवि : अज्ञेयवाचन : शशिभूषण हिंदी के युगपुरुष अज्ञेय की यह कविता 'हिरोशिमा दिवस' 6 अगस्त 2023 को रिकॉर्ड की गयी। कविता और आत्मकथ्य NCERT की पाठ्यपुस्तक 'कृतिका' भाग-दो(कक्षा 10) में संकलित हैं।
बुर्क़ा उतार लेना बेटाकवि: अरबाज़ ख़ानसमय के साखी, मई-जून 2023
मैं कुछ कहना चाहता हूँ। कहना ज़रूरी हो गया है। शोर और बोलना बहुत है फिर भी सोचता हूँ- शायद कहना सुना जाय।(शशिभूषण)
हिंदवी संगत 18, शुक्रवार को कवि-लेखक-फ़िल्मकार देवीप्रसाद मिश्र से अंजुम शर्मा की बातचीत सुनकर यह मौखिक संदेश या तुरंत राय रिकॉर्ड करने से ख़ुद को रोक नहीं पाया।संदेश रिकॉर्ड करने, भेजने के बाद सोचा अगर राय में निजताओं का उल्लंघन नहीं हो, तो उ
इसे सुनिएगा। इस कविता को मैंने महान कहने से खुद को रोक लिया। यह शब्द क्योंकि अब घिस चुका है। आता नहीं इसका अभिप्राय पढ़-सुनकर। पढ़ना या सुनना और महसूस करना ही इस कविता के लिए सब विशेषण हैं।
"सक्रियता की चरम सीमा है निष्क्रियता. बड़बोलेपन की चरम परिणति है ख़ामोशी और तीरंदाज़ी की अंतिम पराकाष्ठा है धनुर्धारण से परहेज." -महाविज्ञ, कहानीकार : अत्सुशी नाकाजिमा.
"स्वतंत्रता दिवस की तारीख़ बदलने पर भी विचार किया जा सकता है।"
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