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पंचतंत्र की कहानियां  Panchatantra ki Kahaniyan

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भारत के दक्षिण में स्थित महिलारोप्य नामक नगर के बाहर भगवान् शंकर का एक मठ था, जहाँ ताम्रचूड़ नामक सन्यासी नगर से भिक्षा माँगकर अपना जीवनयापन किया करता था। वह आधी भिक्षा से अपना पेट भरता था और आधी को एक पोटली में बाँधकर खूँटी पर लटका दिया करता थ
अर्थात् जिसके भाग्य में जितना लिखा होता है उसे उतना ही मिलता है, देखो कैसे अकेले बैल के मारे जाने की आशा में सियार को पन्द्रह वर्षों तक भटकना पड़ा।किसी जंगल में तीक्ष्णशृंग नामक एक बैल रहता था वह अपनी शक्ति के नशे में चूर होकर अपने झुण्ड से
एक नगर में रहने वाला सोमिलक नामक जुलाहा एक उच्चकोटि का कलाकार था। वह राजाओं के लिए अच्छे वस्त्र बुनता था, लेकिन फिर भी वह साधारण जुलाहों जितना भी धन नहीं कमा पाता था। अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान होकर एक दिन सोमिलक अपनी पत्नी से बोला, “प्रिये!
एक बार एक शिकारी घने जंगल में शिकार करने गया। तभी उसकी नज़र एक काले रंग के मोटे जंगली सूअर पर पड़ी। शिकारी ने अपने बाण से उस सूअर पर हमला कर दिया। घायल सूअर ने भी पलटकर अपने सींग उस शिकारी की छाती में घुसेड़ दिए। इस प्रकार बाण लगने से जंगली सूअर क
नाकस्माच्छाण्डिली मातर्विक्रीणाति तिलैस्तिलान्।लुञ्चितानितरैर्येन हेतुरत्र भविष्यति॥अर्थात् यदि शाण्डली अपने धुले हुए तिल देकर बदले में काले तिल लेना चाहती है, तो उसके पीछे अवश्य ही कोई कारण होना चाहिए।एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था
सर्वेषामेव मत्त्याँनां व्यसने समुपस्थिते। वाङ्मात्रेणापि साहाय्यं मित्रादन्यो ना सन्दधे॥अर्थात् संकट के समय मौखिक आश्वासन भी केवल मित्र से ही मिल सकता है, जैसे सिर्फ़ चित्रग्रीव के कहने मात्र से हिरण्यक ने अपने मित्र की मदद कर दी थी। 
मूर्ख बंदर और राजाकिसी राजा का एक भक्त और विश्वासपात्र एक बंदर था। राजा ने उस बंदर को अपना अंगरक्षक नियुक्त कर रखा था और उसे राजमहल में कहीं भी बेरोक-टोक आने-जाने की अनुमति थी।एक दिन राजा सो रहा था और बंदर उसके पास खड़ा पंखा लेकर हवा कर रहा
किसी नगर में जीर्णधन नामक एक व्यापारी रहता था। धन खत्म हो जाने पर उसने दूर देश व्यापार के लिए जाने की सोची।उसके पास उसके पूर्वजों की एक बड़ी भारी लोहे की तराजू थी। उसे एक सेठ के घर गिरवी रखकर वह परदेश चला गया। बहुत समय बीतने के बाद वह व्यापारी
मूर्ख बगुला और केकड़ाकिसी जंगल में एक पेड़ पर बहुत सारे बगुले रहते थे। उसी पेड़ के कोटर में एक काला भयानक सांप रहता था। वह पंख न निकले हुए बगुले के बच्चों को खा जाता था। एक बार सांप को अपने बच्चों को खाता देखकर तथा उनके मरने से दुःखी होकर बगुला
धर्मबुद्धि और पापबुद्धिकिसी गाँव में धर्मबुद्धि और पापबुद्धि नाम के दो मित्र रहते थे। एक दिन पापबुद्धि ने सोचा कि मैं तो मूर्ख हूँ, इसीलिए गरीब हूँ। क्यों न धर्मबुद्धि के साथ मिलकर विदेशों में जाकर व्यापार करूँ और फिर इसको ठगकर ढेर सारा धन कम
मूर्ख बंदर और सूचीमुख पक्षीनानाम्यं नमतजे दारु नाश्मनि स्यात्क्षुरक्रिया ।सूचीमुखं विजानीहि नाशिष्यायोपदिश्यते ॥“नहीं झुकने योग्य लकड़ी नहीं झुकती, पत्थर से दाढ़ी नहीं बनाई जा सकती और अशिष्य को उपदेश नहीं दिया जा सकता। सूचीमुख इसका उदाहरण ह
 चटकाकाष्ठकूटेन मक्षिकादर्दुरैस्तथा ।महाजनविरोधेन कुञ्जरः प्रलयं गतः ॥कठफोड़वा, गौरैया, मेढक तथा मक्खी जैसे महाजनों का विरोध करने से हाथी नष्ट हो गया था।किसी जंगल में चटक और चटकी नामक गौरैया का जोड़ा एक सदाबहार तमाल के पेड़ में घोंसला बनाक
किसी तालाब में तीन मछलियाँ अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य रहती थीं। एक दिन उस तालाब को देखकर मछुआरों ने कहा, “अहो! इस तालाब में तो बहुत सारी मछलियाँ हैं। हम कल यहाँ जरूर आयेंगे।“ उनकी बातों को सुनकर अनागतविधाता ने सभी मछलियों को बुल
किसी तालाब में कम्बुग्रीव नामक एक कछुआ रहता था। उसके संकट-विकट नाम के दो हंस परम स्नेही मित्र थे। एक बार वहाँ लंबे समय तक वर्षा नहीं होने के कारण, तालाब धीरे-धीरे सूखने लगा। एक दिन तीनों इसी विषय में आपस में बात कर रहे थे। कछुए ने कहा, “मित्रों
किसी समुद्र के तट में एक टिटिहरी पक्षियों का एक जोड़ा रहता था। जब मादा टिटिहरी के अंडे देने का समय आया तो उसने नर टिटिहरी से कहा कि जल्दी से कोई शान्त जगह ढूँढे, जहाँ वह अंडे दे सके। नर टिटिहरी ने कहा, “यह समुद्र तट कितना सुंदर है, तुम यहीं अंडे
किसी जंगल में मदोत्कट नाम का एक सिंह रहता था। उसके सेवक गैंडा, कौवा और गीदड़ थे। एक दिन उन्होंने जंगल में इधर-उधर घूमते हुए अपने साथियों से बिछड़ा हुआ क्रथनक नाम का एक ऊंट देखा। ऊंट को देखकर सिंह बोला, “अहो! यह तो बड़ा ही सुंदर जीव है। पता लगाया ज
किसी जंगल में चंडरव नामक एक सियार रहता था। वह एक बार भूख से व्याकुल होकर खाने की खोज में किसी नगर में जा पहुंचा। नगर में रहने वाले कुत्ते उसे देखकर भौंकते हुए उसके पीछे दौड़े। उनसे अपनी जान बचाने के लिए सियार भाग कर पास ही एक धोबी के घर में घुस
किसी जंगल में भासुरक नाम का एक सिंह रहता था। वह बलवान होने के कारण रोज अनेक हिरण, खरगोश आदि जानवरों को मारकर भी शान्त नहीं होता था। एक दिन उस जंगल के सारे जीव मिलकर उसके पास गए और बोले, “स्वामी! इन सारे जीवों को मारने से क्या लाभ? आपकी तृप्ति त
किसी जंगल में अनेक जल-जन्तुओं से भरा एक तालाब था। वहाँ रहने वाला एक बगुला बूढ़ा हो जाने के कारण मछलियाँ पकड़ने में असमर्थ हो गया था। भूख से व्याकुल हो जाने के कारण वह नदी के किनारे बैठा आँसू बहाकर रो रहा था। समय एक केकड़े ने उसे रोता देखकर उत्सुकत
किसी स्थान में एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। वहाँ एक कौआ और कौवी रहते थे। कौवी जब भी अंडे देती पेड़ के नीचे बिल में रहने वाला काला सांप उन अंडों को खा जाता। इस बात से दुखी होकर वो अपने मित्र सियार के पास जाकर बोले, “मित्र! ऐसी परिस्थिति में हमें क
वर्धमान नाम के एक नगर में दन्तिल नामक एक बहुत बड़ा व्यापारी सारे नगर का नायक बनकर रहता था। उसने अच्छी तरह परोपकार और राज्य के कार्य करके उस नगर के रहने वाले लोगों और राजा को प्रसन्न किया था। उसके समान चतुर पुरुष जो राजा और प्रजा दोनों को ही प्रि
गोमायु नामक एक सियार भूख और प्यास से व्याकुल होकर इधर-उधर भटकता हुआ एक जंगल में जा पहुंचा। उसने वहाँ दो सेनाओं की युद्धभूमि देखी और हवा के कारण बजने वाले नगाड़े की आवाज सुनी। तब वह शान्त मन से सोचने लगा, “अहो! मैं मरा! इस भयानक आवाज से डरकर मैं
Hello listeners, I hope you guys are doing well. Thank you for giving so much love to Shree Ram katha podcast. This is a small announcement to tell you about our other podcasts- Nal damyanti prem katha Hindi, English. Ved vyas ki mahabharat in
एक नगर के पास किसी वैश्य के पुत्र ने पेड़ों की झुरमुट में मंदिर बनाना शुरू किया। उसमें जो कर्मचारी शिल्पी आदि थे, वे दोपहर के समय भोजन करने के लिए नगर में चले जाते थे। एक दिन बंदरों का एक दल इधर-उधर घूमता हुआ वहां आया। वहां किसी कारीगर का आधा ची
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