किसी ना किसी वजह से जब हम सभी अपने घरों से दूर रहने को मजबूर होते हैं तो कई मौके या फिर तीज- त्योहार हमें घर के उन पलों की याद दिलाते हैं जो हमने बिताए हैं, ऐसा ही कुछ है सावन के महीने के साथ.. इसकी बारिश की बूंदें हों या महिलाओं का मायके आना, मेहंदी लगाना, झूला- झूलना,या फिर राखी का त्योहार और ना जाने क्या क्या, तो यकीन जानिए ऐसे वक़्त को पूरी तरह शब्दों में उकेरती है भवानी प्रसाद मिश्र की ये कविता ' घर की याद'...
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