रुक जाना नहीं ..तू कहीं हार केकांटों पे चल के.. मिलेंगे साये बहार केकलम की स्याही से गीत, गज़ल और शेर-ओ-शायरी की दुनिया में राज करने वाले .. मजरूह सुल्तानपुरी जिनके गीत आज भी फिज़ा में बिखरते हैं, गाए-गुनगुनाए जाते हैं।
जो तबाही हमें रुलाती है, उसकी आहट पर प्रकृति उदास हो जाती है। बाढ़, सूखा, तूफ़ान देख कर भी क्यों हम समझ नहीं पाते..? वर्ष भर उसका दोहन कर, पर्यावरण के नाम पर एक दिवस मना अपना अधिकार जताते हैं। ज़रूरी है विकास के साथ पर्यावरण में संतुलन बनाना।
जीवन के संघर्ष ही हमें ,हमारी स्थिति का अहसास कराते हैं । कायरता और बहादुरी दोनों हमारे अंदर ही हैं । यह हम पर निर्भर है कि हम किसे चुनते हैं। राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा लिखी ,कविता 'वीर 'सभी वीरों को समर्पित है ।
यह जीवन रंगमंच है । हम देखते है , अपने किरदार के साथ ,ऐसे बहुत से पात्र, जो ,इस रंगमंच का अभिन्न हिस्सा होने के बावजूद सीमाओं में बंधे हैं या बांध दिये गए हैं । समाज को परिभाषित करती , यह हकीकत है ,ये दूरियाँ , ये फ़ासले ,
अक्सर ,जो दिखता है, वह पूरा सत्य नहीं होता,क्योंकि ,सत्य विचलित नहीं होता ! ऐसा ही होता आया है, यह सोच कर , गलत होते देख कर भी ,मुँह मोड़ लेना !कितना सही है ?बहाव में बह जाना और प्रश्न करने से कतराना -2 बिना सोचे समझे किसी के साँचे में ढल
गजानन माधव मुक्तिबोध नई कविता के सशक्त कवि हैं। उनके अनुसार, आज के रचनाकार की समस्या विषयों की कमी नहीं है। विषय अनेक हैं, मगर उनका सही चुनाव अपने आप में गंभीर और चुनौती पूर्ण है।
"मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँवो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ।"ग़ज़ल सम्राट दुष्यंत कुमार जी पहले ऐसे ग़ज़लकार हैं, जिन्होंने ग़ज़ल को हिंदी में स्थापित करने का न केवल सफल प्रयास किया बल्कि युग की धड़कनों से जोड़ा । दुष्यंत जी के काव्य में शब्दों के प्रयोग
लेखिका ने इस कहानी में गजाधर बाबू के रूप में नौकरी से सेवानिवृत्त हो कर घर लौटे पुरुष मन की व्यथा का चित्रण किया है। परिवार से जुड़ कर जीने की इच्छा को मन में लिए ,घर लौटे तो हैं फिर भी परिवार के बीच अकेले जीने पर विवश हैं । मजबूरी में उन्हें द
अवतार सिंह 'पाश' सत्तर के दशक में पंजाबी काव्य जगत के रौशन सितारा थे। वह अपने समाज और अपनी ज़मीन से सीधे जुड़े कवि थे। इस कविता के अनुसार मानव जीवन में सबसे बुरा तब होता है जब वह बिना सपनों, आकांक्षाओं के जीवन जीता रहे।
हिंदी साहित्य में सशक्त अभिव्यक्ति और बेहद सादगी पसंद रचनाकार भीष्म साहनी की रचना फ़ैसला' यह सीख देती है- समाज में व्यवहार के नाम पर अपने अस्तित्व का सौदा करें या नहीं, यह हम पर निर्भर है।
अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। मुहब्बत की दुनिया में आज भी अमृता प्रीतम का नाम अमर है। प्यार में डूबी अमृता की कलम से उतरे शब्द ऐसे हैं जैसे चांदनी को अपनी हथेलियों के बीच बांध लेना। यह एक प्रया
अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। मुहब्बत की दुनिया में आज भी अमृता प्रीतम का नाम अमर है। प्यार में डूबी अमृता की कलम से उतरे शब्द ऐसे हैं जैसे चांदनी को अपनी हथेलियों के बीच बांध लेना।
अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। मुहब्बत की दुनिया में आज भी अमृता प्रीतम का नाम अमर है। प्यार में डूबी अमृता की कलम से उतरे शब्द ऐसे हैं जैसे चांदनी को अपनी हथेलियों के बीच बांध लेना।
'अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। मुहब्बत की दुनिया में आज भी अमृता प्रीतम का नाम अमर है। प्यार में डूबी अमृता की कलम से उतरे शब्द ऐसे हैं जैसे चांदनी को अपनी हथेलियों के बीच बांध लेना।